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________________ (२३४) जाने लगा तब हेमचंद भाईने हमारे चरित्रनायकसे कहा था:-- गुरुदेव ! आप केवल आज्ञा दीजिए और हमारी पीठपर रहिए । हम सब कठिनाइयोंको दूर हटा देंगे। वह कौनसा उक़दा है जो वा हो नहीं सकता? हिम्मत करे इन्सान तो क्या हो नहीं सकता ? ( वह कौनसा गूढ प्रश्न है जिसकी मीमांसा नहीं हो सकती है ? और वह कौनसा कार्य है जो मनुष्य हिम्मत करे तो हो नहीं सकता है ? ) महावीर जैनविद्यालयके लिए इन्हीं हेमचंद भाईने दस हजार रुपयेकी रकम सबसे पहले भरी थी और ये कहा करते थे कि, अगर जीवित रह गया तो अपने दूसरे जैन बंधुओंकी सहायतासे इसे एक आदर्श विद्यालय बना दूंगा । मगर दुर्दैवको यह बात स्वीकार न हुई उसने विद्यालयकी स्थापनाके एक बरस बाद ही इस सच्चे गुरुभक्त विद्याके सच्चे उपासक, धर्मके सच्चे पालक, कुटुंबके सच्चे प्रतिपालक सबको एकदृष्टि से देखनेवाले समदृष्टा और मिथ्यात्वमय रूढियोंके ध्वंसक नरवीर को सं० १९७१ वैशाख वदी १३ के दिन विक्राल कालके मुँहमें लेजाकर डाल दिया । ___ इन्होंने जैसे जैनविवाह विधि समाजमें प्रचलित करनेका आचरणीय उपदश दिया वैसे ही इन्होंने बालविवाहके बुरे रिवाजको समाजसे निकालनेका भी दृढ संकल्प कर लिया था । इन्होंने अपने पुत्रोंको पचीस बरसकी उम्रमें और पुत्रियोंको अठारह बरसकी उम्रमें ब्याहनेका निश्चय किया था । इनके लड़के लड़कियोंकी बड़ी आयु देख कर लोग इन्हें ताने दिया करते थे, रहस्यमें अनेक बातें कहा करते थे; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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