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( २२८) और परायेकी भावनासे ऊपर होता है और जो लोगोंको यथासाध्य संतुष्ट किया करते हैं । सेठ हेमचंद्र भी ऐसे ही सज्जनोंमेंसे एक थे। __ इनका मूल निवास माँगरोल था । इनके पितामह सेठ बंबईमें आये तभीसे इनका कुटुंब बबईमें रहता है। इनका जन्म सं० १९३६ का भादवा वदी १० के दिन हुआ था। इनकी माताका नाम श्रीमती हेमकुँवर और इनके पिताका नाम सेठ अमरचंदजी था। ज्ञातिके दशा श्रीमाली थे । इनकी शिक्षा मेट्रिक तक हुई थी। इनका पहला ब्याह सं. १९५० के साल सोलह बरसकी आयुमें हुआ था । पत्नीका नाम सौ० आनंदबाई था । इनके चार सन्तान हुई थी। दो लड़के और दो लड़कियाँ । लड़कोंका नाम है नरोत्तमदास और नवीनचंद्र लडकियोंका नाम है बहिन मेनावती और बहिन वीणावती । नरोत्तमदासका देहान्त हो चुका है। अन्य धर्मके प्रभावसे मौजद हैं।
सं. १९६६ में इनकी पहली पत्नी सौ. आनंदबाईका देहान्त हो गया; मगर इच्छा न होते हुए भी छः महीने बाद इन्हें दूसरा ब्याह करना पड़ा । इसके कारण यहाँ देना उचित जान पड़ता है।
१-जिस समय पहली पत्नीका देहान्त हुआ उस समय बालक सभी छोटे थे। उन्हें संभालनेवाला कोई नहीं था।
२-इनके अनुज सवचंद भाई उनका व्याह हुआ उसके पाँच महीने बाद ही, अपनी बाल पत्नीको छोड़कर इस संसारसे चले गये थे, इस लिए विधवा बाई अकेली घबराती थी और कुटुंबका बोझ उठाना उन के लिए असंभवसा था ।
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