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________________ आदर्श जीवन। Ans जन्मा है जिसने 'वसुधैव कुटुंबकम् ' कहावतको चरितार्थ किया है। __ मॉडलसे विहार करके आप श्रीसूरिजी महाराजके साथ अहमदाबाद पधारे । श्री सूरिजी महाराजकी आँखोंमें मोतिया हो गया था। उसे निकलवानेके लिए कुछ अधिक समयतक यहाँ रहना पड़ा। + + + + ... (सं० १९४५ से सं० १९५० तक) श्रीसूरिजी महाराज अहमदाबादसे विहार करके महेसाना पधारे और सं० १९४५ का चौमासा वहीं किया । सूरिजी महाराजके साथ ही हमारे चरित्रनायकका भी दूसरा चौमासा वहीं हुआ। उस चौमासे में डॉ. ए. एफ. रुडॉल्फ हानलके साथ, अहमदाबाद निवासी सेठ मगनलाल दलपत भाईकी मारफत, पत्रव्यवहार शुरू हुआ। ये डॉक्टर रॉयल एशिया टिक सोसायटीके एक चुनंदा कार्यकर्ता थे । पाठकोंको यह मालूम है कि, श्रीसूरिजी महाराजके पत्रव्यवहारका काम प्राइवेट सेक्रेटरीकी तरह, दीक्षा होनेके पहलेहीसे, आपको पालीतानेमें मिल गया था। वह काम उस समय भी आपही करते थे । डॉक्टर महाशयके जो प्रश्न आते थे उनके उत्तर पेन्सिलसे लिख कर श्रीसूरिजी महाराज आपको दे देते थे । आप उसकी स्याहीसे सुंदर अक्षरोंमें नकल कर देते थे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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