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(१५८) एक दिन बड़े धनिक थे वे ही जैन आज गरीब व्याकुल दिखाई देते हैं और जो गरीब थे वे आज धनिक बन गये हैं। इसका कारण क्या है ? इसका कारण यह है कि जैन गुणियों या गुणोंका आलंबन छोड़, शिक्षाविहीन हो, पुरुषार्थ हीन बन गये हैं और अपनी निर्बलताको वे कलियुग या पंचम कालके बहाने तले छिपाते हैं। पंचम कालमें केवलज्ञान आदि अमुक शक्तियाँ ही विकसित नहीं होती हैं अन्यथा प्रत्येक शक्तिको मनुष्य अपने पुरुषार्थके अनुसार विकसित कर सकता है । विचार करोगे तो अंग्रेन, पारसी आदि इसका आदर्श तुम्हें मालूम होंगे । इस लिए पंचम कालके अपंग कारणको आगे कर अपने प्रमादको उचित बताना और अपनी जवाबदारीसे छूट जाना अनुचित है। हम आज जिन महात्माकी जयन्ती मना रहे हैं वे महात्मा पंचमकाल-कलियुग के थे या चतुर्थ काल-सत्ययुग-के थे ? हमको स्वीकार करना पड़ेगा कि, वे भी पंचमकालहीके थे । अन्तर इतना ही है कि, उन्होंने अपने बलको प्रस्फुटित किया था
और हम नहीं करते। उनका जीवन धन्य हो गया और हमारा नहीं। ____ महानुभावो! स्वर्गीय आचार्य महाराजमें गंभीरता कैसी थी ?
और उसके कारण वे अपने सामने आनेवाले उद्धतसे उद्धत मनुष्यको भी कैसे शान्त कर देते थे और कैसे उसके हृदय पर अपना प्रभाव जमा देते थे उसके एक दो उदाहरण मैं तुम्हें दूंगा। ___मालेरकोटलेमें एक मुल्लाँ सृष्टि-रचनाके संबंधमें प्रश्न करनेके लिए आचार्यश्रीके पास आया। चर्चा में वह बराबर उत्तर न दे सका, इस लिए, एक तो मुसलमान, फिर मुल्ला और मुसलमानी
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