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________________ (१३७) खरा किये जाना और समाजको धक्का दिये जाना आधी आधी रात सारी सारी रात एक ही बातको उठा लिए जाना योग्य नहीं है। महरबानो! यदि आपको अपने समाजका, जैन समाजका अपने स्वामी भाइयोंका, अपनी धर्मात्माबहनोंका, अपनी सन्तानका अरे! अपने पिता महावीरके शासनका कुछ भी दर्द हो, आप की नस और रगरगमें धर्माभिमान या मनुष्यत्वका अंश भी हो तो अपने, अपनी समाजके हितके लिए आपको अशान्ति, क्लेश और कुसंपको समाजसे धक्का देकर शान्ति, प्रेम और संपका वास करानेके लिए जुदा जुदा इलाकोंके मुख्य मुख्य समाजके प्रतिष्ठित नेताओंकी एक खास सभा कायम करनी चाहिए । जरूरतके वक्त वह सभा जहाँ योग्य समझा जाय एकत्र हो कर जो खुलासा अपने हस्ताक्षरोंसे जाहिर करे सर्व समाजमें मान्य हो जावे । मेरी समझमें यह बात क्या गृहस्थ और क्या साधु सबको पसंद आयगी। ____ महाशयो ! पीछे भी ऐसी प्रणाली चलती थी ऐसा जैन इतिहाससे मालूम होता है। श्रीधर्मघोष सूरि महाराजने जैनधर्मसे विरुद्ध चलनेवाले श्रावकोंको शिक्षा ( दंड ) देने के लिए अठारह श्रावक कायम किये थे । जिनमें श्रीमालकुलतिलक यशोधवल नामक खजानचीका पुत्र जगदेव मुख्य था। जिस जगदेवको श्री हेमचंद्रसूरिने बाल कविका बिरुद किया था। विद्याकी खामी दूर करो। - प्यारे जैन भाइयो ! आपने समझ लिया होगा कि, पिछले हमारे जैन भाई सुशिक्षित, धनाढ्य, अधिकारी और प्रतिष्ठित होते थे । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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