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तो यह है कि अपने में एकताकी मजबूती होगी । इस ऐक्यकी जरूरत प्राचीन वा अर्वाचीन हरएक वक्तमें थी और है । यदि हमारेमें एकता होगी तो ही हम हर एक धर्मकार्यको पूरा कर शासनकी उन्नति कर सकेगें, और अपने इस कार्यका अनुकरण अन्य भी करेंगे । उससे भी हमको फायदा होगा। संमेलनमें संख्याध साधु विद्वानवर्गके एकत्रित होनेसे उन विद्वानोंके जदे जुदे आशय वा तरह तरहके अनुभवी विचारोंके प्रकट होनेका भी यह एक उत्तम साधन है । जब कभी किसी धर्म संबंधी कार्यको तरक्की कर उसे ऊँचे दरजे पर पहुँचाना हो या कोई भी सुधारा करना हो तो ऐसे सम्मेलनसे ही हो सकता है, क्योंकि अगर किसी एक कार्यको कोई अकेला साधु करना या कराना चाहे तो उसमें कई प्रकारके विघ्न आ उपस्थित होते हैं; मगर वही कार्य सर्वकी संमति या सम्मेलनसे उठाया जावे तो फौरन ही वह भले प्रकार शिरे पहुँचेगा । (पूरा होगा) उसमें जैसी मदद चाहें वैसी मदद हर तर्फसे मिल सकती है। हर एक कार्य आसानीसे हो सकता है। इत्यादि बड़े बड़े फायदे सम्मेलनमें समाये हुए हैं।
कायदे यानी नियम सम्मेलन करके बाँधे जायँ तो वे सर्व मान्य और पायेदार मजबूत रह सकते हैं । अकेला चाहे कोई कितना ही प्रयास करे तो भी उस पर न कोई गौर ही करता है
और न उसका किसी पर वजन ही पड़ता है " अकेला एक दो ग्यारा " इस लिये इस प्रकारके मुनि संमेलनकी आवश्यकता
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