________________
|| 300 ||
मुनिसम्मेलन ।
परलोकवासी प्रातःस्मरणीय जैनाचार्य्य न्याय भोनिधि श्री १००८ श्रीमद्विजयानंद सूरीश्वर ( श्री आत्मारामजी ) महाराजके साधुओंकी १३ जून सन् १९१२ गुरुवारको देश गुजरात राजधानी बड़ौदा उपाश्रय जानीशेरी में एक महती सभा हुई थी । सभापतिके असनको जैनाचार्य श्रीविजयकमलसूरिजीने सुशोभित किया था ।
पहेले दिनकी कार्रवाई ।
मंगलाचरण |
प्रारंभ में मुनि परिषदकी निर्विघ्न समाप्तिके लिये देवस्तुति और गुरुस्तुति की गई ।
भुनिसम्मेलनके उद्देशपर मुनिराज श्रीवल्लभविजयजीका व्याख्यान ।
सभापतिजीकी आज्ञासे मुनिराज श्रीवल्लभविचयजीने यात्रामें अनेक कष्ट सहन करके देश देशांतरोंसे आये हुए मुनिराजों को सादर अभिमुख कर कहा कि,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org