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________________ आदर्श जीवन । है उन हृदयों का आपके सामाजिक नैतिक तथा धार्मिक जीवन के सभ्य व्यवहार ने अतिशय आकर्षित कर लिया है । यहाँ पर श्री महावीर लायब्रेरी तथा शांति वर्धमान जी देव की पेढी तथा श्री वर्धमान जैन कन्या पाठशाला की स्थापना आपके उपदेश प्रेरणा का ही कारण है कि जिनका निरीक्षण राज के बड़े ओफिसरों ही ने नहीं वरन श्रीमान् His Highness Maharaja Sahib Bahadur of Jodhpur और कई मुनिराजों ने संस्थाओं में पधार करके प्रजाहित कार्य में प्रेम प्रदर्शित किया अतः आपकी सादगी का साधारण जीवन वर्णन किया जाय तो एक दफतर की आवश्यकता है । आप श्री मान पूज्यवर हमारे feas के हार और एक जैन संसार में अनुकरणीय आचार्याधिराज हैं। हम को सम्पूर्ण आशा है कि आपके आगामी जीवन में भी हमारे साथ सहानुभूति बनी रहेगी, और उसके प्रताप से हमें उज्ज्वल सफलता प्राप्त होती रहेगी। आपकी शासन सेवासे भारत वर्ष की प्रजा का उपकार और उद्धार होगा, चंद्रमा का मुख विश्व सेवा से ही उज्वल है । आप पञ्चमी गति गामी मुनिराजों में केंद्र हो, यदि आपकी शक्ति का संघठन हमारे अंदर न होता, तो आज मारवाड के गाय भैंस लरडी बकरी के अभय दान में आप की बनाई संस्था सौभाग्य प्राप्त करने का गौरव रखती है वह अवसर कहाँ था, आप श्री की चरण सेवा में रहने वाले मुनि मंडल को यहाँ का संघ वंदन लिखाता है और आशा रखता है, कि यही मंडल जगत को एक्यता का पाठ समझा कर पालन करने में चमत्कारिक शक्ति फैलावेगा । Jain Education International For Private & Personal Use Only ४९५ www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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