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आदर्श जीवन।
श्री आत्मानंद जैन सभा, अंबाला शहर ।
४ दिसबर १९२४ स्वस्ति श्रीमत्पाजिनं प्रणम्य तत्र श्री लाहोर शुभ स्थाने विराजमान पूज्यपाद परमोपकारी श्री जैनाचार्य श्री १००८ श्रीमद्विजयवल्लभमूरिजी महाराज उपाध्याय श्री सोहन विजय जी महाराज श्रीसुमतिविजय जी महाराज श्री पंन्यास विद्याविजयजी महाराज तथा अन्य सर्व साधु समुदाय की सेवा में दासानुदास भागमल्ल की वंदना नमस्कार १००८ वार अभु ट्रिओमिके पाठ सहित स्वीकार होजी। आगे निवेदन यह है कि सेवक कल ही गुडगाओं से वापिस आया है । वहाँ की परीक्षा में मैं आर हमारे स्कूल के मास्टर बिलायतीराम दोनों प्रथम कक्षा में उत्तीर्ण हुए। - यहाँ आते ही लाहौर के प्रतिष्ठा महोत्सव के आनंददायक समाचार सुने । विशेषकर आप दोनों मुनि महाराजों की पदवियों का हाल सुनकर चित्त इतना प्रसन्न हुआ कि उस प्रसन्नता को वर्णन करने के लिए मेरे पास पर्याप्त शब्द नहीं हैं। क्या ही अच्छा होता यदि में भी अपनी आँखों से वह दृश्य देख पाता। परंतु मुझ जैसे निर्भाग्य के भाग्य में यह शुभ अवसर कहाँ ? ___ आपकी इन पदवियों पर एक बार और बधाई देता हूँ
और समाज की दक्षता पर मुग्ध होरहा हूँ जिन्होंने ऐसे स्वर्णमय अवसर का ऐसा अच्छा उपयोग किया।
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