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आदर्श जीवन।
विजय जी महाराजजी विगैरे मुनिराजों योग्य सेवक मान, विवेक, संतोष तरफ से वंदनानुवंदना सुखसाता पूर्वक आनंद साथे मुनि श्री पं० ललितविजयजी के पत्र से आपको आचार्य पद मिल्या वांचकर बहोत हर्ष हुवा। आप पद के योग्य हो 'अच्छे अच्छे धर्म के कार्य करते हो।
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डभोडा। श्री परमपूज्य विद्वान शिरोमणि श्री श्री श्री १००८ गुरु जी महाराज श्री आचार्य महाराज श्री वल्लभविजय जी आदि परिवार योग्य विवेकविजयनी वंदना अवधारसो जी, आजे पं० ललित वि० उमंगवि० ना पत्र थी आप साहेबजी नी पदवी ना समाचार जाण्या. आनंद थयो. अवसरे सुखसाता ना समाचार देशो जी. द० विवेकविजय सुदि ९
लाहोर मध्ये शान्त दान्त परम पूज्य परमोपकारी एवा अनेक गुणेकरी विराजमान आचार्य महाराजजी श्री विजय वल्लभ सूरीश्वरजी महाराजादि कपडवंज थी लि: सेवक कीर्तिबेनी वंदना १००८ वार अवधारशोजी. बीजुं आप श्री जीनी कृपा थी आनंद छे. आप श्री जी ने आचार्य पदवी तथा पं. महाराजजी श्री सोहनविजय जी महाराजजी ने उपाध्याय पदवी सांभली अत्यानंद थयो छे. मागसर सुदि १२.
सेवक कीर्तिनी वंदना।
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