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आदर्श जीवन
ऐसे कार्य करने लायक हो जावें, जिनसे कि श्री गुरु महाराज का - श्री १००८ श्री मद्विजयानन्द सूरीश्वर जी महाराज का शुभ नाम जगत् में अधिक से अधिक रोशन होवे । आपके साथ धम स्नेह होने से आपको योग्य समझ कर इतनी सूचना शुद्धान्तःकरण पूर्वक लिखी है । आशा है आप इसमें से सार ग्रहण करेंगे, तथापि मेरे लिखे हुए मतलब में किसी प्रकार भी अप्रीति होने का कारण बन जावे तो उसकी बाबत मिच्छामि दुक्कडं देता हुआ मैं अपने लेख को समाप्त करता हूँ ।
मैं हूँ आपका शुभचिन्तक - मुनि-कां० वि०
वन्देवीरम
जामनगर ( काठियावाड )
(२)
श्रीयुत वल्लभाचार्य ता० उपाध्यायजी आदि सर्व मुनिराज योग्य अहमदावाद थी हंसवि०ता० पंन्यासजी आदिनी' मालुम थाय तार पहोच्यो आनंद थयो
आपनो पत्र ता०
मान पत्र वांची आनंद थयो
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'तमारी पदवी थी श्री
मूरि पण खुशि थया छे छापेली मानपत्रनी पांच नकलो.
मोकलावशो
४७५
( ३ )
ता० १-१२-२४.
आचार्य अजितसागर सूरि
ठे० आंबलीपोल जवेरेवाडा
अमदाबाद.
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