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________________ आदर्श जीवन । करने की बोलियाँ होने लगीं। इन बोलियों के बोलने में यद्यपि यथाशक्ति सभी ने अपना पूर्ण उत्साह बतलाया था तथापि गुजराँवाला श्री संघ का उत्साह कुछ विशेष देखने में आया । इसी अवसर पर लाहौर निवासी बाबू मोतीलाल जी जौहरी ने एक सोने की जड़ाऊ कंठी मूलनायक श्री शांतिनाथ जी के भेट की । ४६० बोलियों का कार्य समाप्त हो चुकने के बाद जैनधर्म भूषण आचार्य श्री विजयवल्लभ सूरि जी महाराज श्री मंदिर जी में पधारे और ठीक नौ बजकर पैंतीस मिनट पर भगवान् श्री शांतिनाथ गद्दी पर विराजमान किये गये । शुभ क्रिया उक्त श्रीके पवित्र करकमलों से सम्पादित हुई । भजन व्याख्यान और इनाम । । सोमवार की रात्रि को पंडाल में एक महती सभा हुई । सभापति का आसन दानवीर सेठ मोतीलाल सूलजी ने ग्रहण किया । जुदा २ भजन मंडलियों के भजन होने के बाद पंडित हंसराज जी शास्त्री का सामाजिक विषय पर एक छोटा सा भाषण हुआ । इसके अनन्तर मंदिर के पुजारियों तथा अन्य कर्मचारियों को सभापति के हाथ से इनाम दिलाया गया। बाद में ओसिया की भजन मंडली ने शिक्षापूर्ण एक अभिनय किया और कुछ अन्य भजनों के बाद सभा विसर्जन हुई । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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