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आदर्श जीवन।
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mm संमानित हैं तथापि वृद्धावस्था के कारण विहार की अशक्ति, गुजरात और पंजाब का बृहदन्तर इन दो कारणों से पंजाब का खास बोझ उठाने में सर्वथा असमर्थ हैं।
प्रसंग और स्थान • आपका वयापर्याय, दीक्षापर्याय और ज्ञानपर्याय ये तीन तो यथेष्ठ हैं ही लेकिन आपकी धर्म विद्या और समाज सेवा भी किसी अंश में कम नहीं, इसी लिये इस शुभ अवसर पर आपश्री को आचार्य पद पर प्रतिष्ठित करनेका हमने संमिलित रूप से निश्चय किया है। क्योंकि इस पूर्ण उत्तरदायित्व पद के योग्य इस समय हम आप ही को पाते हैं।
आज तकरीबन् ४०० वर्ष के बाद इस लाहौर शहरमें फिर मंदिर प्रतिष्ठाका सुअवसर प्राप्त होता है तथा इसी शहरमें श्रीजिन सिंह और भानुचन्द्र क्रमशः आचार्य और उपाध्याय पदवी से विभूषित हुए थे। ऐसे ऐतिहासिक स्थान में आज हम सब लोग उन्हीं दो कामों [प्रतिष्ठ और आचार्यपद] की पुनरावृत्ति करने का सौभाग्य हासिल कर रहे हैं यह कुछ कम हर्ष की बात नहीं। ___ आज यहां पर केवल पंजाब का श्रीसंघ ही उपस्थित नहीं बल्कि काठियावाड़ गुजरात और मारवाड़ के संभावित बड़े २ गृहस्थ भी उपस्थित हैं। जिनमें दानवीर सेठ मोतीलाल मूलजी बम्बई-राधनपुर। सेठ गोविन्दजी वैरावल-( काठियावाड़)
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