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आदर्श जीवन ।
पूज्यपाद श्रीवल्लभविजयजी महाराज की पवित्र सेवा में ।
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श्रीमन्तः !
हम समग्र पञ्जाब के जुदे २ शहरों, कसबों, और ग्रामों के निवासी जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक लोग आज इस पञ्जाब की राजधानी लाहौर शहर में एकत्र होकर समग्र पञ्जाब के जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ की हैसियत से आपश्रीको, स्वर्गवासी जैनाचार्य न्यायाम्भोनिधि श्रीमद्विजयानन्द सूरि उर्फ आत्माराम जी महाराज के पट्टपर आचार्यपद से विजयवल्लभ सूरि इस नाम के साथ प्रतिष्ठित करते हैं ।
योग्यता
आपकी आयु इस वक्त ५४ सालकी है। दीक्षा लिये आपको आज ३७ वर्ष हुए। आप बाल ब्रह्मचारी हैं। आपका चरित्र निःसन्देह निरवद्य और पवित्रतम रहा है। ज्ञान की दृष्टिसे भी आपका स्थान बहुत ऊँचा है । स्वर्गवासी गुरु महाराज के पास से विद्या और अनुभव प्राप्त करने का आपको अच्छा अवसर मिला, आपने भक्तिपूर्वक गुरुचरणों में रहकर उस अवसर से लाभ भी पूरा उठाया । आपकी विनीतता, बुद्धिमत्ता और समय सूचक चातुरी से आकर्षित होकर गुरु महाराजने भी अपने सद्गुणों का मुख्य भाजन आपही को बनाया ।
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