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आदर्श जीवन।
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हाँतक बनता अन्य प्रान्तों से भी एक बड़ी संख्या में लोग उपस्थित होते । हमारे पास आज तक उपालम्भ के पत्र और तार आही रहे हैं। मगर लाचार, हमें स्वीकृति ही ऐन वक्त पर मिली, जिसके लिए सखेद हम उन अनुपस्थित सज्जनों से क्षमा माँगते हैं जो कि इस शुभ अवसर की प्राप्ति से वंचित रहे और इस शुभ अवसर की राह बहुत दिनों से देख रहे थे।
चादर की बोली-सब से प्रथम महाराज श्री पर जो चादर ओढाने की थी उसकी बोली स्वनाम धन्य स्वर्गवासी लाला हीरालाल जीके सुपुत्र लाला माणिकचन्द जी मुन्हाणी लाहौर वालों ने ११०१ रुपये में ली, और उपाध्याय पदवी के लिये ओढाई जाने वाली चादर की बोली को ७०१ रुपये में स्वनाम धन्य स्वर्गवासी लाला ठाकुरदास जी खानगा डोंगरां वाले के सुपुत्र श्रीमान् लाला प्रभदयाल जी दुग्गड लाहार वालों ने लिया ।
मानपत्र प्रदान–चादरों की बोली हो चुकने के बाद समस्त श्री संघकी तरफ से आपश्रीको एक मानपत्र दिया गया जिसको कि उपस्थित चतुर्विध संघ के समक्ष पंडित हंसराजजी ने पढ़कर सुनाया वह अक्षरशः नीचे दिया जाता है:
. नमः सत्योपदेशाय सर्वभूतहितैषिणे । वीतदोषाय वीराय विजयानन्दसूरये ॥
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