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आदर्श जीवन ।
में अनुमोदन होने से अम्बाले की बजाय आपका प्रथम प्रवेश होशियारपुर में हुआ । आपके प्रवेश के समय श्रीसंघ पंजाब ने जैसा उत्साह दिखाया वैसा आपकी इस वक्त की आचार्य पदवी से पहले कभी नहीं देखा गया था। उसी उत्साह में विद्यालय के लिए एक लाख के करीब चंदा जमा हुआ और तीन लाख के करीब लिखा गया था। उस की व्यवस्था अभी तक ज़ेर तजवीज़ है । उस समय महाराज श्री की सेवा में समस्त श्रीसंघ की तरफ से एक मानपत्र पेश किया गया था
और शासन की बागडोर अपने हाथ में लेने की बड़े विनीत भाव से प्रार्थना की गई थी। इस से प्रथम सादड़ी (मारवाड़) की जैन कानफ्रन्स के समय भी आप से आचार्य पदवी के लिये अनुरोध किया गया था। परन्तु आपने इस वक्त भी श्रीसंघ को पूर्ववत् ही निराश किया। अब लाहौर की प्रतिष्ठा के समय फिर श्रीसंघ ने आपकी सेवा में उपस्थित हो कर उसी प्रार्थना को दोहराया । मगर आपको सम्मत होते न देख कर संघ ने, साधु शिरोमाण प्रवर्तक श्री कान्तिविजय जी महाराज, शान्तमूर्ति मुनिप्रवर श्रीहंसाविजय जी महाराज, आदर्श गुरुभक्त पंन्यास श्री सम्पद्विजय जी महाराज और परम वृद्ध साधु स्वभाव मुनि श्रीसुमतिविजयजी महाराज की पवित्र सेवा में, अपनी उक्त शुभेच्छा प्रदार्शत करते हुए प्रार्थना की कि, आप इस विषय में श्रीसंघ पंजाब की इमदाद करें। जिससे कि वह शीघ्र ही अपने शु- मनोरथ में सफलता प्राप्त
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