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आदर्श जीवन ।
वट इतनी सुन्दर और चित्ताकर्षक है कि दर्शकोंका दर्शन करते हुए जी नहीं भरता । सचमुच ही यह देवमंदिर लाहौर - के श्रीसंघकी पुण्यश्रीका एक उज्ज्वल आर्दश है ।
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देवप्रतिमाओंका लाना ।
देवमंदिरके तैयार होजाने पर
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अब यहाँके श्रीसंघको उसकी प्रतिष्ठा और उसमें सद्यः भगवान वीतरागदेवकी प्रतिमा स्थापन करने का खयाल हुआ । तदनुसार वे इस शुभ कार्यके लिए प्रयास करने लगे । उस समय सादड़ी ( मारवाड ) की अखिल भारतवर्षीय जैन श्वेताम्बर कॉनफ्रन्स हो चुकनेके बाद महाराज श्रीवल्लभविजयजी खुड़ाला ( मारवाड़ ) में विराजमान थे । सादड़ीके बादका द्वितीय चतुर्मास आपने वहीं पर किया था । यहाँसे लाला प्रभदयाल और लाला माणिकचन्दजी उक्त कार्यकी सम्पन्नताके लिये आपके पास खुड़ालेमें पहुँचे और पहुँचते ही अपना भाव आपको कह सुनाया । महाराजश्रीने वहाँ ( खुड़ाला - सादड़ी ) के पंचोंकी सम्मति लेकर श्रीवरकाणातीर्थराजसे वहाँके मैनेजर मूता सरदारमलजीकी मारफत इनको तीन मूर्तियाँ दिलवाई, जिनमें मूलनायक भगवान श्री शान्तिनाथ थे, जो कि लाहौरके उक्त मंदिर में इस समय नीचेकी वेदीमें प्रतिष्ठित किये गये हैं और ऊपरकी वेदीमें श्रीसुविधिनाथ भगवानकी वही अति प्राचीन मूर्ति विराजमान की गई है, जो कि प्रथम इस मंदिर में प्रतिष्ठित थी ।
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