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आदर्श जीवन ।
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महावीरजयन्तीका सार्वजनिक उत्सव किया गया । हिन्दु मुसलमान सभीने इस उत्सवमें भाग लिया।
तपस्वीजी श्रीगुणविजयजी महाराज तेले तेलेके पारणेसे वार्षिक तप कर रहे थे । वैशाख सुदी ३ ( अक्षय तृतीया) सं० १९८१ के दिन वह तप निर्विघ्न पूरा हुआ और उन्होंने पारणा किया । उस अवसर पर श्रीसंघने खुशीमें पूजा पढ़ाई । कई भव्योंने ज्ञान दान दिया । जितनी रकम हुई थी वह सभी जंडियालेके श्रीसंघके सुपुर्द कर दी गई । और उसका स्काँलार्शप फंडकी तरह उपयोग करनेका उपदेश दिया गया। उसकी व्यवस्था हुई कि जंडियालेका कोई जैन विद्यार्थी अगर उच्च शिक्षा प्राप्त करनेके लिए कहीं बाहर जाना चाहता हो; मगर आर्थिक बाधाके कारण न जा सकता हो तो उसको स्कॉलर्शिप दी जाय । उसी समय यह बात काममें भी लाई गई । अर्थात् एक लड़केको १० दस रुपये मासिक दिये जाना स्थिर हुआ। ___ स्वर्गीय गुरु महाराज श्रीआत्मारामजीके बनाये हुए जैनतत्त्वादर्शको पुनः छपवा कर मामूली कीमतपर बिकवानेकी योजना भी वहाँ की गई। अभी वह अमलमें नहीं लाई गई। उम्मीद है अब गुरुकुलका काम ठीक चल पड़नेपर वह योजना भी अमलमें लाई जायगी।
जंडियाला गुरुसे विहार कर आप अमृतसर पधारे । अमृतसरमें भी विना ही धूमधामके आपने प्रवेश किया। गुजराँवालेका
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