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________________ आदर्श जीवन ! आपका असीम विद्या प्रेम किसीसे छिपा हुआ नहीं है । बंबईका 'श्रीमहावीर जैनविद्यालय' और पालनपुरका 'जैन एज्युकेशनल फंड' आदि संस्थाएँ - जो आपके द्वारा स्थापित हुई हैं - आपकी शिक्षाभिरुचिकी जीती जागती मिसालें हैं । इसके सिवा गुजरात, काठियावाड़ और मारवाड़ आदि देशों में पैदल भ्रमण करके शिक्षाप्रचार और समाज सुधारके लिये आपने जो परिश्रम उठाया है उसके लिए, जैन समाज आपका सदा आभारी रहेगा । ४०५ पंजाब भूमिके लिए आजका दिन बड़े ही सौभाग्यका है । इस समय आपश्रीका यहाँ पर पदार्पण करना एक विशेष गौरवकी बात है । इस वक्त पंजाब के श्रीसंघकी जो काया पलटी है, वह आपके ही अतिशय विशेषका फल है । जैन समाज के स्त्री पुरुषोंका, इस समय मलमल और रेशमके स्थानमें, केवल खद्दर और गाढेके वेशमें नजर आना, आपके आगमन प्रभावका ही प्रत्यक्ष फल है । अन्तमें आपश्रीके पवित्र चरणों में हमारी सविनय प्रार्थना है कि, आप अपने शिष्य परिवार सहित इस पंजाब भूमि-जिसने श्रीविजयानंद सूरि जैसे धर्मोद्धारक रत्न पैदा किये हैं - में बहुत समयतक विचर कर इस भूमिको सच्चा और अनुकरणीय धर्मक्षेत्र बनानेकी कृपा करें और इस भूमिमें भी कोई ऐसा पौदा लगावें कि, जिसके अमर फलोंसे हम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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