SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 448
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आदर्श जीवन होशियारपुर पधारे । होशियारपुरमें आपके स्वागतार्थ करीब सात आठ हजार आदमी शहरके और बाहरके आये थे । बड़े समारोहके साथ जुलूस निकला । तीन घंटेतक सारे शहर में जुलूस घृ । स्थान स्थानपर भजन मंडलियाँ भजन गाकर आनंद देती थीं । स्थान स्थानपर शर्बतका इन्तजाम किया गया था । मुसलमानोंकी, सनातनियोंकी ढूँढियोंकी और जैनियोंकी, ऐसे चार, सेवा समितियाँ प्रबंध करनेके लिए साथमें थीं। जुलूस जहाँ व्याख्यानका इन्तजाम कर रक्खा था उस स्थान पर पहुँचा तब आप व्याख्यानके पाटपर विराजे । लाला दौलतरामने आपके सामनेकी चौकी पर एक सौ मुहरोंका साथिया कर वंदना की । न्योछावर भी मुहरोंहीकी की । वहाँ पंजाबके श्रीसंघने जो मानपत्र आपके भेट किया था उसकी नकल यहाँ दी जाती है । 1 ॐ अर्हम् । सरि श्रीविजयानंद – प्रशिष्यं शान्तचेतसम् । जैनधर्मधुरं वन्दे, वल्लभं मुनिवल्लभम् ॥ प्रातःस्मरणीय, पूज्यपाद, न्यायाम्भोनिधि, जैनाचार्य, श्रीमद्विजयानंद सूरि उर्फ आत्मारामजी महाराजके प्रशिष्यरत्न मौढ विद्वान, जैनभूषण, मुनि श्रीवल्लभविजयजी महाराज ! हम - समस्त श्रीसंघ पंजाब, जिसमें दिल्ली, मेरठ और बीकानेर भी सम्मिलित हैं- अपनी अनन्य भक्तिभावना और उत्कृष्ट श्रद्धासे, इस होशियारपुर नगरमें आपश्रीका शुभ Jain Education International ४०३ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy