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________________ आदर्श जीवन । T विनती करते थे । आपने कहा:- “ संघ मिल कर मेरा जाना जहाँ मुनासिब समझे वहाँके लिए कहे । मैं वहीं पहले जाऊँगा; मगर इस बातको नक्की करते वक्त इस बातका खयाल रखना कि, पंजाबमें किसी नगर वा गाँवके भाइयोंके मनमें जुदाई या दुःख मालूम न हो । " सव श्रीसंघ पंजाबने मिलकर सर्व सम्मति से यह निश्चय किया कि महाराज साहब पहले होशियारपुरमें पधारें । वहाँ कुछ ज्यादा लाभकी संभावना है । 800 आपने श्रीसंघ पंजाब के मानकी खातर यह बात स्वीकार कर ली । परंतु साथमें इतना खुलासा कर लिया कि, अंबालानिवासी लाला गंगारामजी - जिनको कुल श्रीसंघ पंजाब मानकी दृष्टिसे देखता है की बहुत वर्षोंसे यह अभिलाषा है कि, मेरी जिन्दगीमें एक चौमासा अंबलेमें हो जावे । इस लिए मेरा इरादा अंबालेको जानेका था । पंजाबमें विचरते हुए वृद्ध मुनि महाराज श्रीसुमतिविजयी उर्फ स्वामीजी महाराज, पं. सोहनविजयजी और विचक्षणविजयजी आदि साधुओंके साथ भी बीकानेर से विहार करनेसे पहले पत्र द्वारा यह संकेत हो चुका है कि, यदि ज्ञानीने फरसना देखी होगी तो अपने सब अंबालेमें इकट्ठे हो जावेंगे । इस लिए तुम अंबालेकी तरफ आना और मैं भी उधर ही आऊँगा । क्योंकि श्रीसंघने हुशियारपुर के लिए निश्चित किया है, इस लिए मैं उधर जानेको तैयार हूँ । तुम पंजाबमें विचरते साधु मुनिराजोंको पता दे देना कि, श्रीसंघ पंजाबकी इच्छानुसार महाराज हुशियारपुर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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