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आदर्श जीवन
वो दयालु भी रुठा जिसपर भरोसा था हमें ।
किसको जाके दुःख सुनावें हाल अबतर हो गया ॥ ८ ॥ माफ करिए सब खता मंजूर करिए बीनती ।
पंजाब में अब हो चौमासा काज सब सर हो गया ॥ ९ ॥ वल्लभविजय महाराजजी वल्लभकी शक्ति आपमें । ईश्वर भी देगा दाद गर चलनेका अवसर हो गया ॥ १० ॥ इस चौमासेमें आपके साथ ( १ ) पं० श्रीललितविजयजी (२) पं० श्रीविद्याविजयजी (३) तपस्वी श्रीगुणविजयजी (४) मुनि श्रीविचारविजयजी (५) मुनि श्री अशोकविजयजी (६) मुनि रमणिकविजयजी (७) मुनि प्रभाविजयजी ( ८ ) मुनि श्रीउपेन्द्रविजयजी । ऐसे आठ साधु थे ।
वहाँ चार मास खमण, पाँच पास खमण, पन्द्रह अठाइयाँ, दो सौतेले और दो सौ बेले हुए थे । आपने केवल बारह द्रव्य खानेकी छूट रक्खी थी ।
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वहाँ एक बंगाली सज्जन चाँदमलजी ढड्डाके साथ आये थे । वे अच्छे विद्वान थे । वे महाराज साहबके साथ धर्मचर्चा करके अत्यंत प्रसन्न हुए और आपका अन्यान्य साधुओं साहत फोटो ले गये । उन्होंने कहा था, "मैं इसे जैनधर्म और जैनसाधुओंके आचरणोंका विवेचन सहित किसी बंगाली पत्र में प्रकाशित कराऊँगा । "
दीवाली के दिन हमारे चरित्रनायक भगवती सूत्रका व्याख्यान बाँच रहे थे । उस दिन आपके दूसरा उपवास
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