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________________ आदर्श जीवन । AAAAAAAAAwww हुए । वहाँ एक प्राइमरी स्कूल चलता था। उसको आपने उपदेश देकर अठारह हजार रु० की मदद दिलाई । वह स्कूल मदद मिलनेसे मिडल स्कूल बना दिया गया । ___ अजमेरसे विहारकर आप पुष्करजी, भगवान पुरा होते हुए पिसांगण पधारे । वहाँ सभी ढूंढिये श्रावक हैं। उनमेंसे एक श्रावक स्वर्गीय आत्मारामजी महाराजके ग्रंथ जैनतत्त्वादर्शसे प्रबोधित हुआ था । वही विनती करके आपको पिसांगणमें ले गया था। वहाँ आपके उपदेशसे तीन चार श्रावकोंने दर्शन पूजनकी प्रतिज्ञा ली थी। मंदिर वहाँ प्राचीन है । पिसांगणसे आप केकिन पधारे उसमें जिन मंदिर विशाल और प्राचीन है । वहाँ सौ श्रावकोंके घर हैं और भव्य मंदिर भी है । मगर श्रावक सभी ढूंढिये हैं। साधुओंका विहार होता रहे तो संभव है लोगोंके भाव बदल जायँ । __वहाँसे आप मेडता पधारे। वहाँ करीब पन्द्रह जिन मंदिर हैं। वहाँकी यात्रा करके फलौधी पार्श्वनाथ पधारे। शेठ हीराचंदजी सचेती आदि कुछ अजमरके श्रावक यहाँतक पैदल ही आपके साथ आये थे । वहाँसे वे अजमेर चले गये। ___ फलौधीसे आप खजवाणा, मुंडवा होकर नागौर पधारे । नागौर में धूमधामके साथ आपका स्वागत हुआ। सिद्धिविजयजी महाराजके शिष्य अशोकविजयजी और रमणिकविजयजी आपको लेनेके लिए सामने आये । वहाँ आपके दो पब्लिक व्याख्यान हुए। वहाँ श्रावकोंके साढे तीन सौ घर हैं, उनमेंसे डेढ सौ ढूंढिये हैं । वहाँ पूजा प्रभावनादि हुए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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