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________________ ३८० आदर्श जीवन। थी यदि बालीवाले और थोड़ीसी हिम्मत करें तो एक लाखकी रकम वालीकी बड़ी खुशीसे हो सकती है। खडालेकी रकम भी ४०-५० हजार की हो सकती है। दोनोंकी मिलाकर डेढ लाखकी रकम हो जायगी। यदि सादड़ीवाले मान लेवेंगे तो लाख सवा लाखकी रकम मिल जानेसे ढाई तीन लाखकी रकम हो जायगी । विद्यालयका काम चल पड़ेगा। यदि थोड़े समयके लिए सादड़ीका श्रीसंघ शामिल न हुआ तो भी बाली और खुडालेके श्रीसंघकी एक सलाह होनेसे सवत् १९७६ माघ सुदिमें खुडालेकी धर्मशालामें जो विद्यालयकी स्थापना की है वह ठीक रूपमें चल पड़ेगा । इस आशयसे आपके मनन'पालीके हिसाबसे खुडालाको अधिक पसंद किया । आपने पालीके श्रीसंघको समझाया कि आप खुद ही लाभालाभ विचार लेवें । पालीके श्रीसंघने भी स्वीकार कर लिया कि, यदि इस प्रकारके लाभकी संभावना है तो हमें कोई आग्रह नहीं है। आप खुशीसे पधार जावें । गोड़वाड़में विद्याका प्रचार होगा तो उसका लाभ हमें भी मिलेगा। अब आपने पालीसे विहार किया और क्रमशः आप खुडाले पधारे। । __ जुदा जुदा स्थानोंसे चौमासेकी विनती होनेसे आपने निम्न प्रकारसे अपने शिष्य प्रशिष्यादिकोंके चौमासोंका निर्णय कर दिया। बीकानेर-पं० श्रीसोहनविजयजी गणी, मुनि श्रीसमुद्र विजयजी और मुनि श्रीसागरविजयजी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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