SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 423
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आदर्श जीवन । पालीसे विहार कर आप जाडन पधारे । जाडनमें मंदिरजीकी बहुत आशातना होती थी। स्थानकवासी साधु मंदिरमें उतरते थे । मंदिरमें पूजा प्रक्षालन भी बंद हो रहा था। परंतु समयके अभावसे इस बातको न छेड़ते हुए आपने लक्ष्यमें ले लिया । रातको जाडनमें बहुत वर्षा हुई । इतना पानी बरसा कि जाडनसे आगे सोजतकी तरफ जानेका रस्ता बंदसा हो गया। रात्रिकी वर्षा पालीमें उससे भी अधिक हुई थी, इस कारण पालीके श्रीसंघको बड़ी चिन्ता हो गई। कहीं सुबह महाराज विहार न कर जावें और आगेको दुःख न पायें इस इरादेसे रातोरात उन्होंने खेपिया भेजा और महाराजजी साहबके साथमें गये हुए अपने भाइयोंको लिख दिया कि, जिस तरह हो सके विनती करके महाराजजी साहिबको पाली वापिस ले आना। आगेको बिलकुल न जाने देना मार्गमें बड़े दुःखी होंगे। यदि आपकी जानेकी ही इच्छा होगी तो दश दिन बादमें भी जा सकेंगे। प्रातःकाल श्रावकोंने अजे गुजारी | आपने भी अवसर विचार लिया। आप जाडनसे बापिस पालीमें पधारे । जाडन गाम पालीसे करीब ११ माइलके है । __ अब पालीके श्रीसंघको उत्साह हो गया कि, चौमासा यहीं होगा। प्रथम भी चौमासके लिए बहुत जोर दे रहे थे अब तो मौका हाथ आ गया। बीकानेर पहुँचनेका समय तो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy