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________________ ३५२ आदर्श जीवन। करना स्थिर कर चुके थे इस लिए वहाँ चौमासा करने स्वीकारता न दे सके । तब श्रीसंघ बालीने. अन्य मुनि मा राजोंको, चौमासा बालीमें करनेका, आदेश देनेकी विनतीक आपने अपने शिष्य पंन्यासजी महाराज श्रीसोहनविजयजी मु श्रीललितविजयजी, मुनि श्रीउमंगविजयजी, मुनि श्रीविद्या जयजी और मुनि श्रीसागरविजयजीको बालीमें चौमासा : नेकी आज्ञा दी । पाँचों मुनिराजोंने आपकी आज्ञानुर. बालीमें चौमासा किया था। आप बालीसे सादड़ी पधारे । साद. डीके चौमासेमें आपकी सेवामें तपस्वीजी गुणविजयजी, विचार विजयजी, समुद्रविजयजी और प्रभाविजयजी चार साधु थे। ___ सादड़ीमें बड़े आनंदसे चौमासा बीतने लगा। सादड़ी घाणेराव, बाली, लाठारा, पोमावा आदि गामोंका करीब ढा लाख रुपयेसे ज्यादा सारा चंदा लिखा गया था । जिसमें बालीका भी उस समयतक साठ हजारका चंदा लिखा ज चुका था और सादड़ीका तो लाखसे भी ऊपर हो गया था। .. आपका चौमासा सादडीहीमें होनेसे आपने वहाँवे श्राक्कोंको · श्वेतांबर जैन कॉन्फरेंस' का जल्सा कराने उपदेश दिया। तदनुसार कॉन्फरेंसको आमंत्रण दिया गया ! बड़े उत्साहके साथ चौमासा समाप्त होनेपर पोस सुद, २,३,४ को सादड़ीमें कॉन्फरेंसका जल्सा हुआ। उसके सभापति होशियारपुरनिवासी लाला गुज्जरमल्लजी नाहर गोत्रीय ओस वालके प्रपुत्र लाला दौलतरामजी हुए थे। उस कॉन्फरेंसमें Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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