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________________ आदर्श जीवन । क्योंकि तहकीकात से मालूम होता है कि, आगे कई वक्त मुखी तरी के आप काम करते रहे तो संभव है किसी वक्त किसीका दिल दुखाया हो तो अपनी और उनकी सबकी सफाई के निमित्त इस उत्तम कामका आपको अवश्य सादर स्वीकार करना होगा मिति जेठ सुदी ९ शनिवार १९७५* ३५० हस्ताक्षर मुनि वल्लभविजय । सर्व मंगल मांगल्यं सर्व कल्याण कारणं प्रधानं सर्व धर्माणां जैनं जयति शासनं ॥ १ ॥ ता. क. - श्री मंदिरजीके जो मेंबर बारां कायम किये गए हैं फिलहाल तीन सालके लिए समझने बादमें अगर गामको बदलने की जरूरत पड़े गामकी रायसे बदल सकते हैं । इंदु गुलाबजी वाला तडकी खरेलकी जो रकम बाईसकी निकलती है बदस्तूर भर देवे और रसीद ले लेवे । ܐ इत्यलम् । खिवाणदी पहुँचनेसे पहले आप विहार करते हुए जब नडलाई पधारे थे तब वहाँ जोधपुर के एक अधिकारी बाबू मोतीलालजी साहिब - जो जिलेमें दौरा करने निकले थे- आपकी प्रशंसा सुनकर आपके दर्शनार्थ आये । आपके उच्च " जबसे विचार सुनकर वे बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा:आपने जोधपुर स्टेटमें पदार्पण किया है तभीसे इस स्टेटमें * यह संवत् गुजराती समझना जो दीवालीके अगले रोज कार्तिक सुदि १ से शुरू होता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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