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________________ आदर्श जीवन । (५) मंदिरजीका स्टेट - पोता (भंडार) एकट्ठाही रहे जुदा जुदा कोई अपने पास रखने न पावे । उसके इंतजाम के लिए चार आदमियोंके पास चार कुंजियाँ रहनी चाहिये। जिनके नाम सा १ केसरीमल नेमाजी २ सा अनोपचंद गुलाबजी ३ सा गुलाबचंद मोतीजी ४ और सा चमनाजी प्रतापजी । - हमेशहके श्रीमंदिरजीके कामके लिए बारह मेम्बर कायम किये जाते हैं, जिनके नाम १ सा भूताजी तिलोक जी २ सा केसरी मल नेमाजी ३ सा अनोपचंद गुलाबजी ४ सा गुलाब - चंद मोतीजी ५ सा रकबाजी वरधाजी ६ सा हंसाजी फताजी ७ सा खुमा जी भाणाजी ८ सा अनोपंचद पुनमचंदजी ९ सा चमनाजी प्रतापजी १० सा कस्तूरचंद सवाजी ११ सा कपूरचंद जेठाजी १२ सा सेनाजी सवाजी इन बारहोंमेंसे एक एक जना एक एक महीना देख रेख रखे इस तरह बारह जने एक वर्ष पूरा करें, वर्ष पूरा होनेपर Trinी मेंबर एकठे होकर वर्षभरका हिसाब कर बाकी निकाल देवें और बारां ही जने उसपर अपने दस्तखत करें। रोजका खर्च हिसाब वगैरह लिखनेका काम अगर मेंबर खुद कर सके तो जरूरत नहीं वरना एक विश्वासु आदमी नौकर रखकर उससे काम करावे और रोजका रोज जिस मेंबरकी बारी हो नामा देखकर अपने दस्तखत कर देवे । महीना पूरा होनेपर जिस मेंबर को काम सौपा जावे । उसका नाम लिखकर अपने दस्तखत कर देवे । इसी तरह Jain Education International For Private & Personal Use Only ३४७ www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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