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आदर्श जीवन ।
वहाँसे आप लुणावा पधारे। आपने वहाँके लोगोंको दयाधर्मका उपदेश दे निहाल किया । वहाँ किसी कारण वश छः बरसोंसे दो धड़े हो रहे थे । वहाँकी धड़े बंदी तोड़ी और एकताका अमृत पिला कर सभीको सनाथ किया । वहाँ पाठशाला स्थापित करनेके लिए एक फंड भी हुआ।
आपके लुट जानेकी बात समस्त भारतमें पवनकी तरह फैल गई थी। श्रावक व्याकुल हो उठे । गोडवाड़के हजारों लोग आपकी सुखसाता पूछने आये । हजारों ही श्रावकोंके तार और पत्र खेद प्रकाशित करनेवाले आये । जो लोग आपकी सुख साता पूछनेके लिए आये थे उनमेंसे कुछ मुख्य मुख्यके नाम यहाँ दिये जाते हैं। __ कलकत्तेसे सेठ सुमेरमलजी सुराणा आदि बीकानेरसे लखमीचंद्रजी कोचर नेमिचंदजी कोचर आदि । पालीसे चाँदमलजी छाजेड़ आदि। बडौदा, पालनपुर, अजमेर, सोजत, ब्यावर आदि स्थानोंसे भी अनेक सज्जन आये थे उनके मुखियोंके नाम प्राप्त न हो सके। पंजाबमें लुधियानेसे लाला हुक्मीचंदजी, बाबू हुक्मीचंदजी आदि अंबालेसे लाला गंगारामजी आदि । जामनगरसे सेठ मोतीचंद हेमराज आदि। गुजराँवाला, होशियारपुर, कसूर लाहोर आदि, पंजाबके अन्यान्य शहरोंके श्रावक भी कोई किसी गाँवमें और कोई किसी गाँवमें दर्शन करनेको और साता पूछनेको आते रहे । इस वक्तका दृश्य देखकर
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