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________________ आदर्श जीवन। ३१७ " पूज्य वर्य, श्री रा० जै० श्वे० प्रा० कान्फरेन्सका प्रथम अधिवेशन मिती आसोज बुदि ९-१० सम्वत १९७५ को श्रीपार्श्वनाथ स्वामीके तीर्थ पर अर्थात् फलोधी (मारवाड़) में, स्वर्गीय राय बाबू बद्रीदासजी बहादुर मुकीम कलकत्ता निवासीके सुपुत्र बाबू राजकुमारसिंहजीकी अध्यक्षतामें हुवा, जिसमें अन्यान्य प्रस्तावोंके साथ ही साथ निम्नोक्त प्रस्ताव भी सर्व सम्मेत्यानुसार पास हुआ । __" यह कान्फरेन्स धर्म प्रचार तथा नैतिक सुधारके लिये मुनि महाराजाओंका इस राजपूताना प्रान्तमें विचरना अति आवश्यक समझती है । मुनि महाराजाओंका तथा साध्वियोंका इस प्रान्तकी ओर कम ध्यान देखकर खेद प्रकट करती हुई उनसे सविनय प्रार्थना करती है कि शासनोनतिके लिये मुनि गण इस प्रान्तमें कठिन परिसह होते हुवे भी विचरें।" पूज्यवर्य ! यह पत्र राजपूतानेके संघकी ओरसे आपकी सेवामें भेजा जाता है और राजपूतानानिवासी सर्व संघके विचार तथा इच्छा प्रकट करता है। पूज्यवर्यसे यह बात छिपी नहीं होगी कि समस्त भारतकी जैन जातिका लगभग एक तिहाई भाग इसी प्रान्तमें रहता है और मुख्य करके श्वेताम्बर जैनियोंका तो यह प्रान्त घर ही है । जैनियोंमें सबसे बड़ी ओसवाल जातिका जो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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