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आदर्श जीवन ।
आया कि, आपको पंजाब जाना है इस लिए आप शीघ्रत: साथ आगे बढ़े जारहे हैं, मगर हमसे मिले बिना आगे जावें । जिन्दगीका भरोसा नहीं है । आज है कल नहीं । मिलना हो न हो, इस लिए अवश्यमेव मिल कर जान विचार रक्खें |
आप तो पहले ही विचार कर रहे थे, अब महात्माका आदेश मिल गया, आप सच्चे देव श्रीसुमतिनाथ स्वामी तीर्थपरमातर गाँव में महात्माके चरणोंमें जा हाजिर हुए। एक साथ और गुरु दोनोंके दर्शनोंका लाभ मिला ।
आप चाहते थे कि, वहींसे आगे विहार कर जायें: हंसविजयजी महाराजने फर्माया कि, मुझे अहमदाबाद हैं । वहाँकी विनती है, इस लिए अहमदाबाद तक आप साथ ही चलें । आप अबतक अहमदाबाद गये भी नहीं हैं। बीचमें अहमदाबादकी यात्राको छोड़कर जाना अच्छा नई है । हमारे चरित्रनायक, महात्माकी आज्ञाको आनंद पूर्वक मान कर, उनके साथ ही अहमदाबाद पधारे ।
अहमदाबादके लूणसावाड़ेके श्रावकोंने बड़ी धूमधामसें दोन महात्माओं का स्वागत किया। जुलूस जब जवेरीबाड़े में पहुँचा त अहमदाबाद के प्रसिद्ध सेठ लालभाई तथा मणिभाईकी मा गंगा बहिनने श्रीहंस विजयजी महाराजसे प्रार्थना की कि.. " आप शहरको छोड़कर एकान्तमें कहाँ जाते हैं? यहीं ठहरिए श्रीहंसविजयजी महाराजने फर्माया :- " वहाँके श्रावक पहलेहीसे विनती है । इस लिए हम वहीं जायँगे । "
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