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________________ आदर्श जीवन | इस लिए कब मिलना होगा ? आप विहारमें जतनपूर्वक रहना । आपने गिरनार में चौमासा किया यह बहुत ही उत्तम काम किया; क्योंकि उस क्षेत्रमें रहना बहुत ही कठिन काम है । आप ऐसे विहार करते हैं इसके लिए आपको धन्यवाद है । " भावनगर से विहार कर ग्रामानुग्राम विचरते हुए और अमृत वर्षा करते हुए आप खंभात पधारे । एक साधुकी कुछ तबीअत नरम हो जानेके कारण कुछ दिन यहाँ आपको ठहरना पड़ा । २९० पाटनके पास चारूप नामका एक गाँव है । उसमें एक शामलाजी पार्श्वनाथका मंदिर और उसके साथमें धर्मशाला है । उनके लिए पाटन के श्रीसंघके और चारूप गाँव के लोगों मे कुछ झगड़ा पड़ गया था । उस झगड़ेको आपस में मिटानेके लिए पंच मुकर्रर हुए। मगर पंचने श्रीसंघकी धारणा से विरूद्ध फैसला दिया । उसके विरुद्ध पाटनके बंबई में रहनेवाले श्रीसंघने आन्दोलन प्रारंभ किया । हमारे चरित्रनायकके पास भी उसने पंचका फैसला भेजा और सम्मति चाही । आपने तटस्थ वृत्तिसे जो उत्तम सम्मति दी, वह अमूल्य है । इससे पाठकोंको यह भी विदित होगा कि, आप एकताके कैसे हिमायती हैं ? कैसे चारों तरफका विचार कर अपनी सम्मति देते हैं ? खंभातसे आपने जिस पत्रद्वारा अपनी सम्मति प्रकट की थी वह पत्र यहाँ दिया जाता है । 44 + + + पंचका फैसला आदि पढ़कर हर्ष और शोक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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