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________________ २६६ आदर्श जीवन । वगैरा पंजाबी भाइयोंको आपने उचित उपदेश और आश्वासन देकर विदा किया और एक विज्ञप्ति पंजाब श्रीसंघ के नाम प्रकाशित कराई | वह यहाँ दी जाती है:सकल श्रीसंघ पंजाबको जवाब | श्री वीतरागाय नमः । 44 सकल श्रीसंघ पंजाब योग्य धर्म लाभके साथ विदित हो कि, यहाँ सुख साता है धर्म ध्यानमें उद्यम रखना । आपकी तरफ से प्रार्थना पत्र तथा लाला गंगारामजी आदि श्रावक समुदाय मिले 1 समाचार ज्ञात हुए। आप फिक्र न करें । स्वर्गवासी, प्रातःस्मरणीय गुरु महाराज श्री १००८ | श्रीमद्विजयानंद सूरि ( आत्मारामजी ) महाराजकी आज्ञाका बराबर पालन किया जायगा । चाहे आप विज्ञप्ति करें चाहे न करें । हमारा उस तरफ आनेका परिपूर्ण भाव है। देरी केवल इसी बात की समझें कि श्रीगिरनारजीकी यात्रा अभी तक हुई नहीं है । श्रीनेमिनाथ स्वामीकी यात्रा होते ही उसी तरफ विहार समझ लीजिए । " सीसोदरेमें व्याख्यानानन्तर विनती करते हुए पंजाबी भाइयोंमेंसे लाहोरनिवासी लाला मानकचंदने एक भजन- जो खास विनती के लिये ही बनाकर लाये थे - इस तरह रोते हुए इसके भर भर कर सुनाया कि जितने बाई भाई उस वक्त मौजूद थे सबकी आँखोंमें पानी भर आया । करुणाई चेता हमारे चरित्रनायककी आँखें भी करुणारस से भीग गई। सी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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