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आदर्श जीवन ।
विजयजीको महावीर जैनविद्यालयकी स्थापना करानेके लिए आपने सूरत से बंबई भेजा और आप बगवाड़ेके दिये वचनको याद कर सूरतमें विराजे । परन्तु वहाँ कुछ होता नजर: न आने से आपने जब सूरतसे विहार करनेकी इच्छा की तब सुरतके श्रावकोंने बड़े ही आग्रहके साथ चौमासा वहीं अर्थात् सूरतहीमें करनेकी विनती की। आपने देश कालका विचार कर चौमासा वहीं करना स्वीकार कर लिया ।
जब वहीं चौमासा करना स्थिर हो गया तब आपने सूरतके आस पासके गाँवोंके लोगोंको धर्मामृत पिलाना स्थिर कर सूरतसे विहार किया ।
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आप विहार कर अनेक भव्य जीवों पर उपकार करते हुए सूरतके आस पास गाँवोंमें- जहाँ अनेक वर्षोंसे मुनिराजोंके दर्शन या विहार नहीं होते हैं- विचरण करते और अज्ञ जीवोंको प्रतिबोध करते हुए नवसारी और नवसारीसे कालियावाड़ होकर सीसोदरे पधारे । सीसोदरेमें - पालीताने की दुर्घटनाके कारण दुखियों को मदद देनेके लिए उस समय कुछ चंदा हुआ था । वह अहमदाबाद भेज दिया गया था । उसको लेकर वहाँके लोगोंमें कुछ तनाजा हो रहा था । आपने उसे उपदेश देकर मिटाया ।
सीसोदरा गाम में आपके पास पंजाबमें पधारनेका विनपत्र आया और अंबालानिवासी लाला गंगारामजी ऑनरेरी मजिस्ट्रेट आदि पंजाब के श्रावक भी आये । लालाजी
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