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________________ आदर्श जीवन । लाठीधरसे रवाना होकर पछेगाम, वला आदि गाँवोंमे होता हुआ संघ सं० १९६६ के पोससुदी १० के दिन पालीताने पहुँचा । पालीतानेके श्रीसंघने बड़े समारोहके साथ संघका स्वागत किया । दूसरे दिन शुक्रवार एकादशीके सिद्धियोगमें संघने आनंदपूर्वक दादाकी यात्रा की । उस समय आपने भक्तिभरे हृदयके साथ दादा के गुणगान किये थे । वह स्तुति यहाँ दी जाती है । ( चाल - वारी जाऊँरे साँवरिया । ) दादा आदीश्वर प्रभुजी, मोहे तारनारे, पार उतारनारे || शत्रुंजय मंडन जगस्वामी, अघखंडन पद आतमरामी । अर्ज करी माँगूँ शिवगामी, आवागमन निवारनारे ॥ दा० ॥ १ ॥ जगतारक अहारक नामी, टारक मदनके अन्तर्यामी । पूर्णानंद सुधाके धामी, तारक विरुद्ध सँभारनारे ॥ दा० ॥ २ ॥ अपने जन सब तुमने तारे, सेवक तुमरा अर्जगुजारे । तारक सेवक विरुद पुकारे, गुण अवगुण न विचारनारे || दा० ॥ ३ ॥ श्रीसिद्धाचल सिद्ध अनंता, कर्म खपा सब हुए भगवंता । जयजय ऐसे संतमहंता, बलिहारी जाऊँ वारनारे ॥ दा० ॥ ४ ॥ सेवक करुणा कीजे दाता, दीजे प्रभुजी शिवसुख साता । तुम बिन और कोई नहीं त्राता, तारो करो मुझ सारनारे ॥ दा० ॥ ५ ॥ सूरि जिनवर वीरके ( २४३६ ) साले, ओगणी छासठ विक्रम काले । आतम पूर्व पोष उजियाले, रुद्रं तिथि कवि वारनारे ॥ दा० ॥ ६ ॥ पुण्य उदय प्रभु दर्शन पायो, वल्लभ आतम अति हर्षायो । राधनपुरसे संघ में आयो, सेठजी मोतीलालनारे ॥ दा० ॥ ७ ॥ Jain Education International २१७ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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