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आदर्श जीवन ।
आपने फ़र्मायाः - " अगर इधरसे आना हुआ तो अवश्यमेव आपकी इच्छा पूरी की जायगी । "
दर्बार फिर वंदना कर रवाना हुए । संघपति सेठ मोतीलालजीने दर्बारकी खातिरके लिए दूसरी जगह प्रबंध किया था । वहाँ उनका योग्य सत्कार किया गया ।
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वहाँसे रवाना होकर संघ बोटाद पहुँचा । जिस दिन आपने बोटाद में प्रवेश किया वह दिन बोटाद के लिए चिरस्मरणीय रहेगा । कारण, बोटाद के श्रीसंघको कहींसे एक प्राचीन जिनबिंब प्राप्त हुआ था। श्रीसंघ धूमधामके साथ जिनबिंबको शहरमें लाकर गद्दीपर बिठाना चाहता था परन्तु स्थानकवासियों के साथ अमुक प्रकारके प्रतिबंध होनेसे उनके मनमें आशंका थी । श्रसिंघ मुखियोंने आपसे आकर प्रार्थना की । आपने उनको हिम्मत बँधाई और कहा, " तुम कुछ चिन्ता न करो । शासनदेव अपनी सहायता करेंगे । संघके सामैयेके साथ ही अपनी मर्यादानुसार कार्य करो। "
बोटाद श्रीसंघका हौंसला बढ़ गया । उसने समारोहके साथ प्रभुका, पालखीमें बिराजमानकर, प्रवेश कराया और फिर मंदिरजीमें प्रभुको विराजमान कर दिया । वहाँके लोग कहते हैं कि, जिस समय हम प्रभुके दर्शनार्थ जाते हैं उसी समय हमें महाराज साहब वल्लभविजयजी याद आ जाते हैं । बोटाद से रवाना होकर संघ लाठीधर पहुँचा । वहाँ पंजाबके संघने राधनपुरके संघको प्रीति भोजन दिया ।
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