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आदर्श जीवन ।
mmmmmmmmmmmmmmmmmwww श्रावकोंके साथ, नव दीक्षित पर वासक्षेप मिश्रित चावल डाले।
आप नित्य व्याख्यान वाँचते थे और उसमें हमेशा इस बात पर जोर दिया करते थे कि___ 'पहले ज्ञान और पीछे किरिया, नहिं कोई ज्ञानसमान रे।' समाजमें ज्ञानका कितना अभाव हो रहा है ? ज्ञानके विना आज प्राचीन जैनधर्मकी कैसी हालत हो रही है ? करोड़ों मनुष्य जिस धमके अनुयायी थे उसी धर्मके आज सिर्फ लाखों अनुयायी ही रह गये हैं। इसका मुख्य कारण है ज्ञानका अभाव । ज्ञानके विना ही धर्मकी बाढ रुक गई है; उदार जैनधर्मके अनुयायी आज संकीर्ण हृदयवाले हो गये हैं। उनकी दूसरोंको अपने धर्ममें मिलानेकी शक्ति नष्ट हो गई है। आदि ।
संघ पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ा और एक दिन उसने 'आत्मवल्लभ केलवणी फंड ' स्थापित किया । पचीस हजार रुपये उसी दिन वहाँ जमा हो गये । आज वह फंड धीरे धीरे बढ़ कर करीब नव्वे हजार का हो गया है। अनेक विद्यार्थी आज इससे लाभ उठा रहे हैं।
पालनपुरमें कई रिवाज भी सुधरे । वहाँ जब कोई अठाई ( आठ दिनके व्रत ) करता था तब उसको बिरादरीका एक भारी टेक्स भरना पड़ता था; अर्थात् उसे जाति भोज देना पड़ता था। जातिभोजके खर्चेके डरसे अनेक साधारण स्थितिवाले अठाई जैसे महान तपके करनेसे वंचित रहते थे। आपने उपदेश देकर यह जातिभो
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