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________________ २१० आदर्श जीवन । mmmmmmmmmmmmmmmmmwww श्रावकोंके साथ, नव दीक्षित पर वासक्षेप मिश्रित चावल डाले। आप नित्य व्याख्यान वाँचते थे और उसमें हमेशा इस बात पर जोर दिया करते थे कि___ 'पहले ज्ञान और पीछे किरिया, नहिं कोई ज्ञानसमान रे।' समाजमें ज्ञानका कितना अभाव हो रहा है ? ज्ञानके विना आज प्राचीन जैनधर्मकी कैसी हालत हो रही है ? करोड़ों मनुष्य जिस धमके अनुयायी थे उसी धर्मके आज सिर्फ लाखों अनुयायी ही रह गये हैं। इसका मुख्य कारण है ज्ञानका अभाव । ज्ञानके विना ही धर्मकी बाढ रुक गई है; उदार जैनधर्मके अनुयायी आज संकीर्ण हृदयवाले हो गये हैं। उनकी दूसरोंको अपने धर्ममें मिलानेकी शक्ति नष्ट हो गई है। आदि । संघ पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ा और एक दिन उसने 'आत्मवल्लभ केलवणी फंड ' स्थापित किया । पचीस हजार रुपये उसी दिन वहाँ जमा हो गये । आज वह फंड धीरे धीरे बढ़ कर करीब नव्वे हजार का हो गया है। अनेक विद्यार्थी आज इससे लाभ उठा रहे हैं। पालनपुरमें कई रिवाज भी सुधरे । वहाँ जब कोई अठाई ( आठ दिनके व्रत ) करता था तब उसको बिरादरीका एक भारी टेक्स भरना पड़ता था; अर्थात् उसे जाति भोज देना पड़ता था। जातिभोजके खर्चेके डरसे अनेक साधारण स्थितिवाले अठाई जैसे महान तपके करनेसे वंचित रहते थे। आपने उपदेश देकर यह जातिभो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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