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________________ आदर्श जीवन यहाँके लोगोंने अति उत्साहके साथ आपका स्वागत किया । बड़े भारी जूलूसके साथ लोग आपको उपाश्रयमें ले गये । आपके पधारने की खुशीमें लोगोंने वहाँ अठाई महोत्सव शुरू किया । सवेरे लोग व्याख्यान सुनते थे और दुपहरको पूजाका आनंद उठाते थे । ब्यावरसे आप पिपलीगाँव में पधारे । वहाँ स्थानकवासियों और मंदिर मार्गियोंके आपसमें फूट थी । आपके उपदेशसे वह मिट गई और दोनों मिलकर रहने लगे । १९९ पिपलीगाँवसे आप मुँडावा होते हुए चंडावल पधारे । वहाँ दो दिनतक लोगों को उपदेशामृत पिलाकर निहाल किया । चंडावलसे आप सोजत पधारे । वहाँ पालीके धर्मात्मा से तेजमलजी चाँदमलजी आदि भी आये थे । लोगोंने बड़े उत्साहसे आपका स्वागत किया और आपका उपदेशामृत पी अपनेको कृतकृत्य बनाया । सोजतसे आप जाडण होते हुए पाली पधारे । वहाँसे गोलवाड़में पंचतीर्थीकी यात्राके लिए पधारे। वरकाणाजी, नाडलाई, नाडोल, घाणेराव, सादड़ीकी यात्रा कर, मुँडारा, बाली, शिवगंज, और सीरोही होते हुए और इन गाँवोंके लोगोंको धर्मामृत पिलाते हुए आप आबूजी पधारे । वरकाणाजीसे आचार्य श्रीविजयकमल सूरिजी के शिष्य श्रीलावण्यविजयजी भी आपके साथ हो गये थे । वे चार सालतक आपके साथ रहकर आपकी सेवा भक्ति करते रहे । आपने भी उन्हें विद्यादान देकर, विद्वानोंकी पंक्तिमें बिठा दिया । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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