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आदर्श जीवन।
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महाराज (८) मुनि श्रीविनयविजयजी महाराज (९) मुनि श्रीललितविजयजी महाराज (वर्तमानमें पंन्यास तथा गणि) (१०) मुनि श्रीनयविजयजी महाराज (११) मुनि श्री केसरविजयजी महाराज (१२) मुनि श्रीउत्तमविजयजी महाराज (१३) मुनि श्रीसोहनविजयजी महाराज ( वर्तमानमें पंन्यास, गाणि, तथा उपाध्याय) (१४) मुनि श्रीलब्धिविजयजी महाराज ( वर्तमानमें आचार्य श्रीविजयलब्धि मूरिजी)
(सं० १९६६ से सं० १९७०) चातुर्मास समाप्त होनेपर श्रीआचार्य महाराज और श्री उपाध्यायजी महाराजकी आज्ञा पाकर आपने गुजराँवालासे विहार किया। अमृतसर, जंडियाला आदि स्थानोंमें होते हुए आप जालंधर पधारे । वहाँ आपने श्रीहीरविजयजी महाराज, श्रीउद्योतविजयजी महाराज और स्वामी श्रीसुमतिविजयजी महाराजके दर्शन किये । वहाँसे रवाना होकर होशियारपुर फगवाड़ा, लुधियाना, अंबाला और दिल्ली आदिके लोगोंको उपदेशामृत पिलाते हुए आप जयपुर पहुँचे ।
जयपुरमें बड़े उत्साह और ठाठबाटके साथ आपका स्वागत हुआ । पंजाबसे विहार करते हुए पं. श्रीललितविजयजी भी जयपुर आ मिले । इनके साथ खिंवाइके एक ब्राह्मण भी थे । नाम था कृष्णचंद । वे दीक्षा लेनेके लिए आये थे। होशियारपुरनिवासी अच्छर और मच्छर दोनों सगे भाइ ओसवाल नाहर गोत्रीय संयम ग्रहण करनेके इरादेसे कितने ही महीनोंसे आपके पास अभ्यास करते थे।
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