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आदर्श जीवन। me कि,-" तुम विनयवान हो, तुम्हारा यही धर्म है, मगर यह मौका ऐसा ही है । तुमने गुरु महाराजके नाम पर प्राणतक न्योछावर किये हैं, लोगोंमें उत्साह बढ़ रहा है, अतः धर्मकी प्रभावनाके लिए और गुरु महाराजकी यशोदुंदुभि चहुँ ओर बज उठे इस लिए, हम तुम्हें आज्ञा देते हैं कि तुम श्रीसंघकी
आज्ञाको स्वीकार कर लेना।" ___ आपने बड़ोंकी आज्ञाको शिरोधार्य कर विवश जूलूससे जाना स्वीकार कर लिया। बड़ी धूमधामके साथ जुलूस निकला। उपर्युक्त तीन महात्माओंके सिवा सभी साधु आपके स्वागतार्थ सामने आये थे इस लिए नगरप्रवेशके समय आपके साथ साधुओंकी एक अच्छी संख्या हो गई थी। __ श्रीमंदिरजीमें दर्शन, चैत्यवंदन कर आप उपाश्रयमें पधारे। उस समय श्रीआचार्य महाराज आदि वृद्ध, महात्माओंने भी आपका शास्त्रानुसार उचित स्वागत किया। आपने भी श्रीआचार्य महाराजजी आदिके चरणोंमें विधि पूर्वक वंदना की। दूरसे आये हुए साधु अपने बड़ोंके चरणोंमें किस तरह वंदना किया करते हैं सो देखनेका अवसर श्रीसंघ गुजराँवालाके लिए और बाहरसे आए हुए अन्यान्य भाइयोंके लिए यह पहला ही था । श्रीजिनेश्वरके विनयमार्गको देखकर अनेक भव्योंकी आँखोंसे हर्षाश्रु बह चले । सभीके मुखसे वाह ! वाह ! ! और धन्य ! धन्य !! की ध्वनि निकल पड़ी।
श्रीआचार्य महाराज आदिने आपकी पीठपर हर्ष पूर्वक
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