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________________ आदर्श जीवन । १७३ ७ बजे शामके एक लेक्चर बजरिये मास्टर आत्माराम साकिन अमृतसरके दिलवाया है । जिससे हमारे संघकी यानी जैनधर्मकी बहुत निंदा यहाँ हुई है। इसलिए ये अमर संघ गुजराँवालाको बहुत नागवार गुजरा है । अब संघकी जनाबके चरनोंमें प्रार्थना ये है के जिस वक्त यह अरीजा खिदमत आलियामें पहोंचे उसी वक्त गुजराँवालाको बिहार फर्मावें, क्यों के जिसमें शासनकी बेइज्जती न हो। इस वक्त फौरन् और कामोंको छोड़कर शासनकी उन्नतिकी तरफ खयाल होना चाहिए । इस लिए मुनासिब जानकर आपको तकलीफ दी है। बाकीका हाल बजबानी जगन्नाथके मालूम हो जावेगा । फकत । मुकर्रर ये है के जिस वक्त ये अरीजा पहोंचे उसी वक्त रवाना हो जावें । इस हमारी थोड़ी तेहरीरको हजार दफा खयाल फरमा कर और कबूल करके बिहार करें । फकत । बिहार गुजराँवालाकी तरफ करके बजरिए तार इत्तला देवें । ताके संघको खुश्नूदीका बाइस हो । फकत ।" (नीचे चार मुखियों के हस्ताक्षर हैं।) तत्काल ही रवाना होनेके लिए दो तार मिले । उनकी नकलें यहाँ दी जाती हैं। Gujranwala 30th 8-35 ( A. m. ) Musaddilal Piarelal Jaini village Banoli Baraut. Send muni balabbijeji, with your men to Gujranwala immidiately. Jagannath coming. Jain community. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002671
Book TitleAdarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages828
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size12 MB
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