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आदर्श जीवन।
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समाप्त होते ही दो साधुओंके साथ वे बीकानेरसे लंबी लंबी सफरें तै करके गुरु महाराजके चरणों में आ हाजिर हुए। धन्य गुरुभक्ति! ___ जीरेमें हरदयाल नामक एक व्यक्ति थे । वे प्रसिद्ध हकीम थे । कहा जाता है कि उनके पास आये हुए मरीजोमेंसे नव्वे फी सदी आराम होकर ही जाते थे । खुद हकीमजी और अनेक जीरेके श्रावक आपकी खिदमतमें नकोदर पहुँचे । दो चार रोज हकीमजीने वहीं इलाज किया और आपकी तबीअत कुछ सुधरने लगी तब आपसे जीरा पधारनेका आग्रह किया गया । द्रव्य क्षेत्र, काल, भावका विचार कर आप कुछ साधुओं सहित जीरे पधारे। __जीरेमें हकीमजी आपके शरीरके रोगका इलाज करने लगे और आप अनादि कालसे लगे हुए कर्मरोगका इलाज करनेमें तल्लीन हुए। श्रीचिन्तामाण पार्श्वनाथकी छत्रछायामें रहकर सं० १९६३ के माघ महीने में आपने श्रीपार्श्वनाथ प्रभुकी हिन्दी भाषामें पंच कल्याणककी पूजा बनाई। .. जब आपमें चल फिर सकनेकी अच्छी शक्ति आ गई तब आप पट्टी, झंडियाला, अमृतसर आदि होते हुए गुजरांवाला पधारे । वहाँ पर स्वर्गीय आचाय महाराज न्यायांभोनिधि श्री १००८ श्रीमद्विजयानंद मूरिजी (आत्मारामजी) महाराजकी समाधि बनवाई गई थी और उसमें आचार्य महाराजके चरण कमलकी प्रतिष्ठा कराना था । मगर भावी बड़ा
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