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आदर्श जीवन।
१३९.
ANANAMA
किसी दूसरी जगह नहीं जाते तथापि उन्होंने अपने श्रावकोंको प्रसन्न रखनेके लिए करमचंदजी नामके साधुको भेजा। उन्हें महानिशीथ सूत्र भी दे दिया।
करमचंदजी एक दूसरे साधु सहित सभास्थानमें पहुँचे और सभामें व्याख्यान और शास्त्रार्थके लिए बनाई हुई जगह पर न जाकर एक तरफ़ खड़े हो गये और कुछ कहने लगे।
लोगोंने कहा:-" महाराज आप व्यास पीठ पर आइए।" उन्होंने उत्तर दियाः-" हम वहाँ नहीं आ सकते।"
लोगोंको व्याख्यानमें आनंद आ रहा था मगर उन्होंने व्याख्यान बंद कर कर्मचंदजीसे वार्तालाप करनेकी हमारे चरित्रनायकसे प्रार्थना की । आप अपना व्याख्यान बंद कर करमचंदजी जहाँ खड़े थे वहाँ गये और सादर पूछा:-" क्या आप शास्त्रार्थ करेंगे?"
करमचंदजीने उत्तर दिया:-" हम यहाँ शास्त्रार्थ करने नहीं आये हैं।" __ लोग हँस पड़े। कुछ उद्धत युवक करमचंदजीको अपमान जनक शब्द कह बैठे । हमारे चरित्रनायकने उनको धमकाया
और कहा:-" खबरदार ! त्यागीका अपमान न करना।" __ लोग चरित्रनायककी इस महानताको देखकर मुग्ध हो गये। करमचंदजीके दिल पर भी इस महानताका प्रभाव पड़ा। वे बोले:-" हम तो यतिजीको पाठ दिखाने आये हैं।"
यति बरशीऋषिजीने जैनतत्त्वादर्शके साथ पाठ मिलानेके
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