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आदर्श जीवन ।
अंबालेसे विहार करके आप सामाना (पटियाला स्टेट ) में पधारे। वहाँ उस समय मूर्तिपूजक श्रावकोंके केवल पाँच ही घर थे। बाकी सभी स्थानकवासी थे। फिर भी बड़ी धूमधामके साथ आपका नगर प्रवेश हुआ । अन्य धर्मावलंबियोंकी काफी तादाद आपके स्वागतार्थ जुलूसमें शामिल हुई। कई कुतूहलवश आये थे, कई भक्तिवश आये थे, कई प्रख्यात साधुवरके दर्शनकरनेकी इच्छासे आये थे कई आपके वचनामृतका पान करने आये थे और कई श्रावकोंके मुलाहजेसे जुलूसमें शामिल हो गये थे। __ उपाश्रयमें पहुँचकर आपने धर्मोपदेश दिया। उसे सुनकर लोग मुग्ध हो गये। फिर तो सभी हमेशा आपका उपदेशामृत पान करने आने लगे। कई स्थानकवासी भाई भी अपनी भूलको सुधारकर पुनः वीतरागके शुद्ध धर्ममें सम्मिलित हो गये। . __ वहाँ सुरजनमल नामके एक स्थानकवासी श्रावक थे। वे एक दिन महाराज साहबके पास आये और चर्चा करने लगे। मगर दो चार प्रश्नोत्तरहीमें उनका सारा ज्ञान समाप्त हो गया। तब उन्होंने आपसे कहा:-" यदि आप हमारे पूज्य श्रीसोहनलालजीसे शास्त्रार्थ करनेको तैयार हों तो मैं उन्हें बुलाऊँ । यदि वे हार जायँगे तो मैं भी श्वेतांबर बन जाऊँगा और यदि आप हार जायँ तो आप स्थानकवासी हो जाइएगा।"
आप मुस्कुराये और बोले-" अच्छा !" लाला सुरजनमल कैंथल-जहाँ पूज सोहनलालजी थे-दो
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