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( ७१ ) गुरुदेव के इस कथन को 'पंजाब की संभाल वल्लभ करेगा सत्य करके दिखाया। जाओ ! स्वर्गीय गुरु महाराज के व्याख्यान पट्ट पर बैठ कर श्री संघ को थोड़ा सा व्याख्यान सुना आओ। कई दिन से श्रावकों को तुम्हारी जवान से जिन-वचनामृत पान करने का अवसर नहीं मिला है आज उन्हें धन्य बनाओ।" आपने उनके कथनानुसार व्याख्यान पाट पर विराज कर व्याख्यान किया।
hषण पर्व में आप कल्पसूत्र का व्याख्यान सुनाने लगे, आपकी वाणी सब को संतुष्ट करने लगी। यहां तक कि मुनि श्री लब्धिविजयजी ( वर्तमान में श्री विजयलब्धि मुरिजी) महाराज भी चकित होकर कहने लगे "आपका कल्पसूत्र सुनाने का ढंग बहुत ही बढ़िया है। मैं भी आगे से इसी ढंग से बाँचा करूँगा। मेरा उद्देश्य आपकी व्याख्यान शैली देखने का था। वह उद्देश्य पूरा हुआ।" _संसार में अनेकों दीक्षाएँ होती हैं। कई आचार्य अपने शिष्यों को दीक्षित करते हैं। किन्तु आपने जब कभी जिसे जिस जगह भव्य जीवों को दीक्षाएँ दी हैं; वहां एक अद्भुत दृश्य उपस्थित हो जाया करता था। बड़े २ प्रतिष्ठित आदमियों ने दीक्षा महोत्सव को देख कर प्रशंसा की है।
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