________________
श्रीजी का दीक्षा महोत्सव बड़ी धूमधाम से ,हुआ। बिनौली से कुछ फासले पर 'बड़ौत' में कुछ दिगम्बर भाई श्वेताम्बर संप्रदाय में सम्मिलित हुये।
आपने उन श्रावकों की विनती पर बड़ौत गांव में ही चौमासा किया और श्वेताम्बर जैन मन्दिर की नींव रखवाई। उस मन्दिर के बनवाने के लिए लगभग २००००) रुपये की सहायता भी दिलाई जिसका प्रतिष्ठा महोत्सव अब आपके हाथों से होने वाला है।
बड़ौत से विहार करके आप दिल्ली पहुंचे और वहां 'श्री आत्मानन्द जैन गुरुकुल पंजाब' की मीटिङ्ग हुई। इस मीटिङ्ग में प्रमुख स्थान राय बहादुर बाबू बद्रीदासजी मुकीम के सुपुत्र राय साहेब राय कुमारसिंहजी को दिया गया। इस मीटिंग में भी बंबई से 'दानवीर' सेठ विट्ठलदासजी साहेब आये और पाँच वर्ष तक मकान के किराये के लिए १००००) रुपये देगए।
यहां से ग्रामानुग्राम विहार करते हुए आप अलवर पधारे। यहां पर भी आपने जैन श्वेताम्बर मन्दिर को; बड़ी धूम धाम से प्रतिष्ठा करवाई।
इसके बाद आप वरकाणा पधारे। कुछ अर्से पहले आपके उपदेश से यहाँ विद्यालय स्थापित करने का जो विचार स्थिर हुआ था तदनुसार आपके शिष्यों में से
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org