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( ४६ ) पानी लगाने लगे। परन्तु कन्या ने हँसते चेहरे से,जवाब दिया-"म्हारे गुरु महाराज नुं वखाण समिळवु छै, म्हने ऊपर जावा दो। म्हने कशुं थयुं नथी। म्हने शा वास्ते दवाओ चोपड़ो छो। म्हारा शरीरे तो जराए इजा थई नथी ।" लड़की यह कह कर ऊपर चली गई। ... यहां बीसा श्रीमालि बोर्डिङ्ग हाऊस को आप श्रीजी के उपदेश से काफी मदद मिली और आपके सार्वजनिक व्याख्यानों से जनता को बड़ा लाभ पहुँचा। श्री आत्मानंद जैन लाईब्रेरी आदि की स्थापना भी हुई। बेरावल में
भी आपके उपदेश से बहुत अच्छे २ कार्य हुए। ..... पालनपुर में भी आपके उपदेश से "श्री जैन बोडिङ्ग" की योजना हुई। उसके लिए तेबीस हजार रुपयों का फंड हुआ जो आज करीबन एक लाख रुपयों तक पहुँच गया है।
वहां आप को करीबन एक मास रहना पड़ा। लगातार तीन अठाई महोत्सव हुए।
- आचार्य महाराज श्री सोमसुन्दरमूरिजी, श्री विजय हीरसरिजी तथा श्री विजयानन्द सूरिजी महाराज की मर्तियों की स्थापना हुई। वहां से विहार कर . आपने कुंभारियाजी, आबूजी, अचलगढ़ की यात्रा करते हुए मार वाड़ में पदार्पण किया। मारवाड़ की जनता कृतकृत्य हुई।
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