________________
वर्ष हो चुके थे। साथ के साधु भी पालीताना, गिरः नारजी आदि तीर्थ स्थानों की यात्रा के उत्सुक थे, अतः आपने गुजरात की ओर विहार करना निश्चित किया। : आपके गुजरात की ओर जाने में भी अपनी विचार धारा को विशेष विस्तृत रूप मिलने वाला था। जैन जाति तथा जैन समाज का उद्धार यही इस यात्रा में भी आपको अभीष्ट था।
आपका पंजाब से विहार हुआ। ग्रामानुग्राम विच-. रते हुए आप जयपुर पधारे। यहां पर भी जैन समाज की स्थिति अच्छी नहीं थी। अतः आपको यहां २ मास रहना पड़ा। आपके विराजने से धर्म की अच्छी प्रभावना हुई। .. यहां तीन विरक्त श्रावकों की दीक्षा बड़े ठाठ के साथ संपन्न हुई। दीक्षितों के नाम मुनि तिलकविजयजी मु० विद्याविजयजी और मु. विचारविजयजी थे। यहां के स्थानीय ज्योतियंत्रालय के मुख्य संस्थापक तथा एक मुन्शिफ़ साहिब आपके पूर्ण भक्त हो गए। तीर्थ यात्रा करते हुए समाज की स्थिति का अध्ययन करते हुए आप आगे बढ़े। - सं० १९६६ का चातुर्मास आपने पालनपुर में करके कई शुभ कार्य किये। मुनि श्री विचक्षणविजयजी तथा
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org