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( २२ ) । एक बार आप लुधियाने (पंजाब) में विराजमान थे। एक दिन रतनचंदजी तथा चुनीलालजी नाम के दो स्थानकवासी साधु आपके निवास स्थान के सामने की सड़क पर आकर खड़े होगए और आपको बुलाने लगे। जब आपने खिड़की के नीचे की ओर झांका तो दोनों बोले:-- ___ "हम शास्त्रार्थ करने के लिये आये हैं। तुमने विहार मत करना। अगर विहार किया तो हारे हुए माने जाओगे।" __"शास्त्रार्थ कौन करेगा ? तुम या कोई और ? आपने पूछा। . "स्वामीजी महाराज उदयचंदजी करेंगे" उन्होंने उत्तर दिया।
आपने उन्हें नाभा के शास्त्रार्थ की बात सुनादी जिसमें उदयचंदजो स्वयं हार चुके थे। किन्तु उन साधुओं ने जब बहुत हठ किया तो आपने स्वीकार कर लिया। मगर वहां शास्त्रार्थ करना किसको था ? आप वहां कई महीनों तक ठहरे किन्तु वे लोग सामने तक न आये और न आने ही थे।
शास्त्रार्थों में जब स्थानकवासी लोगों ने सीधे पास न पाया तो उन्होंने दूसरी कौमों को बहकाना प्रारम्भ किया, उसका फल यह हुआ कि स्वर्गीय आचार्य श्री
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