________________
हॉकी-"श्वेताम्बरों में ऐसा कोई नहीं है जो मेरे प्रश्नों का उत्तर दे सके।" ___ आपसे आकर श्रावकों ने निवेदन किया। आपने फरमाया "भाई ! नाभा नरेश धर्म प्रेमी, विद्वान् तथा सज्जन भी हैं। उनके सम्मुख ही यह फैसला क्यों न हो जाय ?" ... श्रावकों ने महाराजा साहिब से निवेदन किया । शास्त्रार्थ का दिन मुकर्रर हो गया। पूज्य सोहनलालजी के लिये शास्त्रार्थ करना तो दुश्वारथा ही लेकिन फिर भी हा कर ली। पूज्य सोहनलालजो को यह तो ध्यान था कि मैं किसी प्रकार भी श्री वल्लभविजयजी को जीत नहीं सकता। अतः अपना बचाव करके, अपने प्रशिष्य उदयचंदजी को शास्त्रार्थ करने के लिये भेजा । यथा समय महाराजा साहिब (नामा) की अध्यक्षता में शास्त्राथ प्रारम्भ हुआ और कई दिन तक लगातार होता रहा। अन्त में विजय आपकी होहुई और सोहनलालजी की वह शास्त्रार्थ की बात समाप्त हुई। . स्थानकवासी संप्रदाय में पूज्य सोहनलालजी के विरोध से किनाराकशो कर लेने के बाद विरोध कुछ कम हुआ। फिर भी स्थानकवासी साधु आपकी इस ख्याति से सन्न हो रहे थे।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org